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सौभाग्य शयन व्रत कथन | [ ३०७

प्रणाम है-इससे भगवान्‌ शंकर की कटिका पूजन करे । कोटवी तथा

शूलपाणि शनी की सेवामें प्रणाम अपित्‌ हो--इन से दोनों कुक्षियों

का अर्चजन करना चाहिए।२०। मङ्गला आपके लिए नमस्कार है-इसका

उच्चारण करके उदर का पूजन करे। सर्वात्मा के लिए नमस्कार है

इससे सद्र का अर्चन करे तथा ईणानी की सेवा में प्रणाम है-इससे देवी

दोतों स्तनों का अभ्यर्चन करना चाहिए ।२१।

शिवं वेदात्मने तद्द्र द्राण्ये कण्ठमचेयेत्‌ ।

त्रिपुरघ्नाय विश्वेशमनन्ताये करद्वयम ।२२

त्रिलोचनाय च हरं बाहुकालानलप्रिये ।

सौभाष्यभवनायेति भूषणानि सदाचंयेत्‌ ।

स्वाहा स्वधायै च मुखमीश्वरायेति शूलिनम्‌ ।२३

अशोकमधुवासिन्ये पृज्यावोष्ठौ च भूतिदौ ।

स्थाणवेतु ह्रं तद्रद्धास्यं चन्द्रमुखप्रिये ।२४

नमाऽद्धं नारीणह्रमसिताङ्गीति नासिकाम्‌ ।

नम उग्राय लोकेशं ललितेति पुन्न. वौ ।२५

शर्वाय पुरहन्तारं वासव्येतु तथालकान्‌ ।

नम: श्रीकण्ठनाथायै शिवकेणांस्ततोऽचंयेत्त्‌ ।

भीमोग्रसमरूपिण्ये शिरः सर्व्वात्मने नमः ।२६

शिवमभ्यच्ये विधिवत्सौभाग्याष्टकमग्रतः ।

स्थापयेद्‌ घृतनिष्पावकुसु म्भक्षीरजी रकान्‌ ।२७

रसराजञ्च लवणं कस्तुम्बरुमथाष्टकम्‌ ।

दत्त सौभाग्यमित्यस्मात्‌ सौभाग्याष्टकमित्यतः ।२८

वेदात्मा को प्रणाम है-- इससे शिवका और रुद्राणी को भ्रणाम है

इससे देवी के कण्ठ का पूजन करे । त्रिपुर के हनन करने वाले को

प्रणाम है-इससे देवी के दोनों करों का प्‌ जन करे ।२२। त्रिलोचनाय

नम: अर्थात्‌ तीन लोचनो बाले को प्रणाम है--इस मन्त्र को. पढ़कर

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