गान्धर्व मूछना लक्षण |] [ ६१
के कारुष क्षत्रिय हुए ये जो युद्ध करने में दुर्मद यथे ।१-२। यह एक सहस्र
क्षत्रियों का समुदाय था जो बहुत ही अधिक विकान्त हुआ था दिष्ट पुत्र
नाभाग था ओौर.भलन्दन विद्वान था ।३। इस भलन्दन का पुत्र महान् बल-
वान् प्रांशु नाम वाला हुआ था । प्रांशूका एक ही पुत्र 'हुआ था जो नूप
प्रजापति के हो समान था ।४। उसको सुहृत् और वान्धवों के साथ संवत्तं
के द्वारा स्वर्ग में ले जाया गया था । इस विषय में संवर्त का और बृहस्पति
का बड़ा भारी विवाद हुआ था ।५। उसके यज्ञ की ऋद्धि का अवलोकन
करके वृहस्पति क्रद्ध हो गये थे । संवरत्त के द्वारा यज्ञ के विस्तृत होने पर
उस समय में वह अत्यधिक कुपित हो गया था ।६। लोकों के विनाश करने
के लिए देवगणों के द्वारा वह प्रसन्न किया था । मरुत चक्रवर्ती उसने
नरिष्यन्त को बसाया था ।७।
नरिष्यंतस्य दायादो राजा दंडधरो दमः।
तस्य पुत्रस्तु विज्ञातो राजाऽसीद्राष्टृवद्ध नः ॥८
सुधृतिस्तस्य पुत्रस्तु नरः सुधृतितः पुनः ।
केवलस्य पुत्रस्तु बंधुमान्केवलात्मजः ।।£
अथ वंुमतः पुत्रों धर्मात्मा वेगवान्नृप ।
बुधो वेगवतः पुत्रस्तृणबिदुबु धात्मजः ॥ १०
त्रेतायुगमुखे राजा तृतीये संबभूव ह् ।
कन्या तु तस्येडविडा माता विश्रवसो हि सा ॥११
पुत्रो योऽस्य विणालोऽभूद्राजा परमरधामिकः ।
दाश्वान्प्रख्यात वीय्यौ जा विशाला येन निमिता ॥ १२
विणालस्य सुतो राजा हेमचन्द्रो महाबलः ।
सुचन्द्र इति विख्यातो हेमचन्द्रादनन्तरः ।। १३
सुचन्द्रतनयो राजा धूम्राश्व इति विभ्रतः ।
घूम्राश्वतनयो विद्वान्सू जय: समपद्यत ॥ १४
नरिष्यन्त का दायाद दण्डधर राजा दम था । उसका पत्र परम
विज्ञान राष्ट्र वर्धन राजा हुआ था।८। उसका पुत्र सुधृति हुआ था और
फिर सुधृति से नर पुत्र ने जन्म ग्रहण किया था । केवल का पुत्र तो एक