कूरुवंश वर्णन | | २४१
पञ्चानाञ्चैव पञ्चलानेतान् जनपदान् विदुः ।
पञ्चाल रक्षिणो ह्यं तेदेणानामितिनः श्र.तम् ।४
मुद्गलस्यापिमौद् गल्या क्षत्रोपेता द्विजातयः ।
एते ह्यद्क्गिरसः पक्षं संश्रिता: काण्वमृद्गलाः ।५
मुद्गलस्यसुता जज ब्रह्धिष्ठ सुमहायणाः ।
इन्द्रसेनः सुतस्तस्थ विन्ध्याण्वस्तस्यचात्मजः ।६
विन्ध्याश्वानुमिथुनं जज्ञं मेनकायामितिश्र् ति: ।
दिवोदासश्च राजाषिरहल्याचयणस्विनो ।७
महा महपि श्रीसूत जी ने कहा--+अजमीढ की एक पत्नीका नाम
नलिनी था उसमें नील नृप ने जन्म ग्रहण किया था । नील का अति
उग्रतय था उसके प्रभाव से उसके सृशान्ति नाम वाले पुत्र की समुन्पत्ति
हुई थी ।१। सुृशान्ति का सुत पुरुजानु और इसका आत्मज पृथु उत्पन्न
हुआ था । पृथु का पुत्र भद्राश्व हुआ था । अब भद्राश्व के जो तनय
समुत्पन्न हुए थे उनके विषय में श्रवण करिए ।२। मुदंगल-जय राजा
वृहदिषु--यवबीनर और पाँचवा महान् वि।मशाली कपिल था ।३। इन
पाँचों के ही ये पल्वाल जनपद हुए थे । हमने ऐसा श्रवण किया है कि
पंचाल देशों के ये रक्षा करने वाले महीपति हुए हैं ।४॥ मुदगल- के भी
जो हुए ये वे मौद्गल्य क्षत्रोपेत द्विजाति थे । ये काण्व मुद्गल अभिरस
पक्ष के संगय करने वाले हुए थे ।५। मुद्गल के जो सृत समुत्पन्न हुआ
था वह सुन्दर और महान् यश वाला ब्रह्मिप्ठ था । इसका पुत्र इन्द्रसेन
तामधारी हुआ था तथा फिर इस इन्द्रसेन का सृत विन्ध्याश्व हुआ ।
इस विन्ध्याश्व से मेनका में एक जोड़ा समूत्पन्नं हुआ था-ऐसा सुना
जाता है। विवोदास एक राजधि हुआ था और परम यशस्विनी
अहल्या ने जन्म ग्रहण: किया था ।६-<।
शरद्वतस्तु दायादमहल्या सम्श्रसूयत ।
शतानन्दमृषिश्र ष्ठ तस्यापि सुमहातपा: ।८