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क श्री लिंग पुराण के १४९

स्वर सहित मन्त्रो से अभिषेक ( स्नान ) कराया है। है

महादेव! हे देवाधिदेव! काले मृग का चर्म धारण करने

वाले, अर्धनारीश्वर सर्प का जनेऊ पहनने वाले, विचित्र

कुण्डल, माला आभूषण धारण करने वाले, हे शंकर

जी! आपको नमस्कार है । इस प्रकार स्वर से स्तुति करने

लगे।

तब मुनीश्वरं से उत्पन्न हुए महादेव जी बोले--हे

मुनियो! मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। आप वर माँगिये। तब सभी

मुनि लोग महेश्वर को प्रणाम करने लगे। भृगु, अड्डगिरा,

वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, अणि, सुकेश, पुलस्त्य,

पुलह, ऋतु, मरीचि, कश्यप, कण्व, सम्वत आदि सभी

मुनि कहने लगे कि हे प्रभो! आप सेव्य हैं तथा असेव्य

भी हैं, ऐसा यह स्वरूप क्या है इसको जानने की हमारी

इच्छा है ।

उनकी इस प्रकार की वाणी को सुनकर परमेश्वर

भगवान हँसते हुए उनसे निम्न प्रकार कहने लगे-

योगियों की प्रशंसा का वर्णन

श्री भगवान बोले- नार बार अग्नि के द्वारा यह

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