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२४२ ] [ ब्रह्माण्ड पुराण

था ।६-१०। वह रथ परम तीज रावण की सुशक्तियों की परम्पराओं से

समन्वित था | वह रथ उस समर में परम शोभित हो रहा था जिसमें

उदित पिशंग रुचि के भागसे युक्त वस्व्रसे वहू संवोत चा औरपरम मनोहर

कान्ति वाला था।११। ललितादेवो मरुदगणों के द्वारा संस्तूयमान होती

हुई संग्राम करने के उद्द श्य से तेजी से चली थी । मरुदुगण उसके पच्चीस

नाम रत्नों को कहकर ही उसका संस्तवन कर रहे थे जो नाम प्रपञ्चों के

पापों के प्रशमन करने में परम दक्ष ये १२) अगस्त्य जी ने कहा--है वाजि

वक्त्र ! आप तो महती बुद्धि वाले हैं। आप उन पच्चीस ललिता परमेशानी

के नामों से हमारे कानों के लिये रसपान कराइए । १३। हयग्रीवजी ने कहा-

उनके पच्चीस नाम ये हैं--सिहासना-महाराज्ञी--परंकुशा-चा पिनी-ब्रिपुरा-

महात्रिपुर सुन्दरी ।१२।

सुन्दरी चक्रनाथा च साम्राज्ञी चक्रिणी तथा ।

चक्र श्वरी महादेवी कामेणी परमेश्वरी । १५

कामराजप्रिया कामकोटिगा चक्रवत्तिनी ।

महाविद्या िवानंगवल्लभा सर्वंपाटला ॥ १६

कुलनाथाम्नायनाथा सर्वाम्नायनिवासिनी ।

श्वज्धा रनाथिका चेति पचविशतिनामभिः ॥१७

स्तुवन्ति ये महाभागां ललितां परमेश्वरीम्‌ ।

ते प्राप्नुबन्ति सौभाग्यमष्टौ सिद्धीर्महद्यशः ॥१८

इत्थं प्रचंडसं रंभं चालयंती महद्‌बलम्‌ ।

भंडासुर प्रति क्र द्वा चचाल ललितांबिका ॥१६

सुन्दरी-चक्र नाथा-साम्राज्ञी-चक्रिणी-चक्र श्वरी-महादेवी-का मेशी--

परमेश्वरी ।१५। कामराज प्रिया--कामकोटिगा--चक्र वत्तिनी-महाविद्या-

जिवा-अनंग वल्ल मा-सवं पाटल १६। कूलनाथा -आम्नाय नाथा-सर्वा-

म्नाय निवासिनी और शगार नायिका- येही पच्चीस नाम हैं ।१७॥ जो

महाभाग पुरुष इन उपयुक्त नामों से परमेश्वरी ललिता की स्तुति किया

करते हैं बे परम सौभाग्य--आठों अणिम।दिक सिद्धियां ओर महान्‌ यश

को प्राप्त किया करते ह ।१८। इस प्रकार से परम प्रचण्ड के साथ अपनी

महती सेना का सञ्चालन कर रही थी और भण्डासुर के प्रति अत्यधिक

कद्ध होकर वह ललिताम्बिका वहाँ से रवाना हुई थी ।१६। षिः

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