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ययाति वंश की शाखाओं का वर्णन |] [ २२५

सौवीराश्चेवपौराश्च नृ गस्यकेकयपस्तथा ।२९

सुव्रतस्य तथाम्बष्ठा कृशस्य वृषला पुरी ।

नवस्य नवराष्ट्न्तु तितिक्षोस्तु प्रजां श्णु ।२९१

महाराज महामन। ने परम 5 प्रसिद्ध दो पृं को जन्म -दिया था ।

उन दोनों में घर्मं काउज्ञाताःःएक- उशीनर -या मौर - दूसरे का नाम

तितिक्षु था ।१५। उशीनर के पुत्र पञ्च राजर्षि सम्भव ये | उशीनर की

भशा कुशानवा-दर्णा और हपद्वती देवी ये पत्नियां थीं ।१६। उन्हीं में

उशीनर के कुल के उद्वहन करने बाले पुत्र संमुत्पन्न हए ये । वे महान्‌

तप के कारण परम धार्मिक हुए ये ।?७) ` भृशा के पुत्र का नाम नग

था । नवा का नव था। कृसाका कृश हुआ था और दरर्शा के पुत्र का

नाम सुब्रत था । तथा हषद्वती के पुत्र का शुभ नाम औशीवर शिवि नप

हुआ था ।१८। राजा शिवि के शिवय चार पुत्र लोकः “में वरम प्रसिद्ध

ससुत्पन्न हु थे । उनके नाम पृथुरभं-सृवीर केकय और भद्रक थे ।१६।

उन चारों के जो जनपद थे वे भी अतीव फैले हुए विशाल थे जो उन्हीं

के नाम से प्रसिद्ध शो केकथ-भद्रक-सौवीर-पौर तथा नृग केकयो ।

सुब्रत को अम्बष्ठा तथा कृश की पुरी का नाम वृषला था । नव के नव

राष्ट्र था। अब यहाँ से आगे तितिक्ष्‌ की जो प्रजा हई यौ उसको

सुनिये ।२०-२१। ! “

तितिक्षुरभवद्राजा पूर्व॑रस्‍्यां दशिविश्र्‌ तः ।

वृषद्रथः सुतस्तस्य तस्य सेनोऽभवत्सुतः ।२२

सेनस्य सुतपा जज्ञं सुतपस्तनयोबलिः ।

जातो मानुषयोन्यान्तु क्षीणे वंशे प्रजेच्छया ।२३

महा योगी तु स-वलिबंडो बन्धंमंहात्मना ।

पुच्रानुत्पाददयामास क्षेत्र ्रजानृपञ््च पार्थिवान्‌ 4२४

अङ्ग स जनयामास वजद्भ सुह्य -तथेव च)

पुण्डः कलिङ्ग च तथा-वालेय क्षेश्रम च्यते ।

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