ॐ श्री लिंग पुराण & १७७
जाता है।
श्रीमान् सनन्दन, सनातन, बालखिल्य, मित्रावरुण
ये सदा विष्णु भगवान का यजन किया करते हैं। अतीत
अनागत सभी मन्वन्तर में पृथ्वी के स्वामियों के नाम
अब आप से कहता हूँ। स्वायंभुव मन्वन्तर में मनु के पौत्र
और राजा प्रियव्रत के दस पुत्र कहे है । अग्नीध, अग्निबाहु,
मेधातिथि, वसु, वपुष्पान, जोतिष्मान, दयुतिमान, हव्य,
सवन आदि हुए । प्रियव्रत ने जम्बूद्वीप का स्वामी अग्नीन्प्र
को बनाया ओर प्लशद्वीप का मेधातिथि को शल्मली
का वपुष्मान किया, कुशद्वीप में ज्योतिषमान, क्रौच में
दयुतिमान, शाल्वद्वीप में हव्य को और पुष्कर का सवन
को अधिपति बनाया । हव्य के जलद, कुमार आदि सात
पुत्र हुए । इन्हीं के नाम से अलग- अलग देशों के विभाग
हए । इसी प्रकार प्लक्षादि द्वीपो के अधिपतियों के भी
पुत्र हुए जिनके नाम पर उस द्वीप के देशों के तथा वर्षो
के नाम पड़े। प्लक्षादि द्वीपो में धर्म और वर्णाश्रम विभाग,
सुख, आयु, स्वरूप, बल सर्व साधारण रूपों में थे। ये
सब मनुष्य महेश्वर में, ध्यान में एवं पूजा में तत्पर रहते
थे। अन्य पुष्कर आदि द्वीपों में उत्पन्न हुए राजा लोग रुद्र
के भाव रूपी सुख में तत्पर रहते थे।
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