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पूर्वभाग-द्वितीय पाद ३५३

खर और कन्याको कुण्डली मिलानेके लिये जो वश्य, योनि, राशिकूट, योनिकूट, वर्णकूट तथा नाडी आदिकः वर्णन

किया गया है, उन सबको सुगमतपपर्वक जानने तथा उनके गुणोंको समझनेके लिये निप्राड्भित चक्रोंपर दृष्टिपात कौजिये-

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9. च.

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