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पतिब्रतामाहात्म्य में सावित्री उपाख्यान | | २१५

क्रतुदेक्षोवसु: सत्यः कालकामोमुनिस्तथा ।-. `

कूरजो मनुजो बोजो रोचमानश्च ते दश॥१३‡

एतावदुक्तस्तव क्षमंवंश: संक्षेपतः पार्थिववंशमुख्य ! । ` `

व्यासेनवक्तु न हि शक्‍्यमस्ति राजनुविनावषेशतेरनेकः। १४

सभी हितकरो वाले नागवीथी अ।दि नौ बताये गये हैं। लम्ब का

पुत्र घोष कहा गथा है और भानु के पुत्र भानुगण हैं ।८। अन्य अपित

अपित ओज वाले ग्रह और नक्षत्रों के सबके मरुत्वतो में मरुत्वन्त सब

पृत्र प्रकीतिंत हुए हैं ।६। सङ्कल्पा का पत्र सङ्कल्प कहा गयांहै । मुहूर्त

के पुत्र मुहत्त' और साध्व साध्या के नुत उत्पन्न हुए थे ऐसा कहा गया

है मनू से मन्‌ और प्राण-मर-उषान-वीर्यवान्‌ू--हार्य---अयन---हंस

-नारायण--विभ और प्रभ ये द्वादश साध्य कहे गये हैं । विश्वा के ,

जो पुत्र थे वे क्रतु--दक्ष--वसु--सत्य--कालकाम--मुनि--कुरज ह

-मनु ज---बीज---रोंचमान---ये दश थे । हे पार्थिवों के ,वंश संक्षेप से

से आपके समक्षम बतला दिया है | हे राजन्‌ ! यह अनेकों वर्षो के .

बिना भगवान्‌ व्यासदेव के द्वारा भो बतलाया नहीं जा सकता है ।१०-

१४।

८६-पतिन्रतामाहात्म्य में सावित्री उपाख्यान

ततः स राजा देत्रेशं पप्रच्छामितविक्रमः।

पतिव्रतानां माहात्म्यसबन्धांकथामपि १

पतिव्रतानां का श्रेष्ठा कया मृत्युः पराजितः । ` अप

नामसंकीतेनं कस्याः कीतनीय सदा नरैः । १८४२

सवेपापक्षयकरमिदानीं कथयस्व मे ।२

वेलोम्यं धमेराजोऽपि नेवाचरत्योषिताम्‌ ।

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