चलुयु गार्मानवर्णनम् ] [ ११३
शूद्रा धर्म चरिष्यंति युगान्ते ` समुपस्थिते ।
सस्यचोरा भविष्यति तथा ` चैलापहारिणः ॥६०
चोराच्चो राश्च हत्तारों हतु दैर्चा तथापर:ः ।
ज्ञानकमेंण्युपरत लोकैः निष्क्रियतां गत ॥६१
कीटमूषकसर्पाश्च `धर्बयिष्यंत्ि मानवान् ।
अभीसख्णं प्नोममारोग्ये सामर्थ्यं दुर्लभं तथा ॥६२
कौशिकान्प्रतिवत्स्यंति देशाः क्षुद्भयपीडिताः ।
दुःखेनाभिप्लुतानां चः प्ररमायुः णतं तदा-।१६३
जो रक्षक हैं वे भी रक्षा नहीं करने बाले शासक दो जायेंगे । ये
दूसरों के रत्नों का हरण' करने वाले तथा दुसररों की स्क्रियों से विमशं करने
-वाले ही जायेंगे 4५5। सभी लोग कामः वासना सें..फरिषपूर्ण-दुष्ट भावों
-वाले->बहुत अशूम और: दुस्साहस- -से,प्रेम:-करने वाले--नष्ट चेष्टा-वाले--
-धूत्त --अमूली:केशों - को-ख ले- हुए -स्खने वाले होगे ५८) इस युग के क्षय. में
“सोलह वर्ष से भी-छोटी-उञ्र वाले सन्तानः का. प्रजानन किया. करते-. हैं ।
शुक्ल दन्तो वाले---जिताक्ष--मुण्डित शिर वाले:ओर- काषाय- रजू- के -कस्त्रों
केःघारण. करने: वाले ठोगे ।५६। युगान्त के उपस्थित होने परःशूत्र.-लोग धर्म
-काःओचरणः करेगे 4 लोग ःधान-त्था-फसल की:चोरी-करने:वाले ओरःवस्वों
-का-अपहरण -करने-वाले होंगे 4६०। चोर -सेःहरण -करनेः काले चोर तथा
हरणकर्ला से'दूसरे-हरण-करतने वाले: हो जायेंगे ।- जान पूर्वक कर्मो के उपरत
ही जाने पर समस्त लोक निच्क्रियता -को प्राप्त: हो जायगा ।६१। कीडे-मुषक
ओर सपं मानबों को प्रधर्षितं करेंगे । -उसी प्रकार से बराबर : क्षेम. कुशल-
आरोग्य और सामर्थ्य सभी: बहुत दुलंभ हो. जायेंगे । भूख के-भय से पीड़ित
मनुष्यों के देण कौशिकों को”प्रति वासःदिया करेंगे + इस :प्रकार से दुःखों से
-जचः मनुष्यः पूर्ण -- रूप. से अभिप्लुत: होंगे तो -उनक्ी ` उस "समय से परमायु सौ
वषं की ही रह जायगी \६२-६३।
हश्यते च न दृश्यते वेदा कलियुगेऽखिलाः ।
तत्सीदन्ते तथा यच्च: केवलाधमंपीडिताः ।\६४
वेदविक्रथिणश्चान्येः तीर्थं विक्यिणौऽपरे ।*६५