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क श्री लिंग पुराण ® ३२१

के द्वारा स्तुति किया गया रुद्र का प्रिय बना।

इससे अष्टाक्षर मन्त्र से और द्वादशाक्षर मन्त्र से

करोड़ों गुना फल मिलता है इसमें विचार नहीं करना

चाहिए। पूर्व में कही शक्ति बीजों से युक्त जो इनका जप

करता है वह परम गति को प्राप्त होता है।

हे द्विजो! यह उत्तम कथा मैंने तुमसे कही जो इनको

पढ़े या सुने अथवा सुनावेगा तथा उत्तम रुद्र मन्त्र का

जाप करेगा, वह रुद्र लोक को प्राप्त करेगा।

अलक्ष्मी का वृत्तान्त

ऋषि बोले--हे सूतजी ! देवों ने, ब्रह्मा ने ओर कृष्ण

ने भी पूर्व में पाशुपत व्रत किया । पतित ब्राह्मण धुन्धमूक

के पुत्र ने उससे परम गति प्राप्त की । सो हे सूतजी! वह

पाशुपत व्रत कैसा है वह हम से कहिए । इसका हमें बड़ा

कौतुहल है तथा शिवजी का नाम कैसे हुआ यह भी

कहिए।

सूतजी बोले--हे द्विजो! पूर्व के शाप से विमुक्त

ब्रह्मपुत्र ऊंट की देह को त्याग कर रुद्र के प्रसाद से यहाँ

शिलादि मुनि के पास आया और नमस्कार करके महेश्वर

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