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कै श्री लिंग पुराण के २६७

दान करता है, पूर्णमासी का व्रतं करता है वह वायु

लोक में निवास करता है।

आषाढ़ के महीने में जो रात्रि में भोजन करता है,

खांड, घी, सत्तू तथा गौरस का भोजन करता है, श्रोद्नीय

ब्राह्मणों को भोजन कराता है, गौरवर्ण की गौ मिथुन

का दान करता है वह वरुण लोक को जाता है।

श्रावण में शिव पूजा मेँ परायण जो रात्रि को भोजन

( दृध व चावल ) करता है, पूर्णमासी को घृतादिक से

पूजा करके श्रोत्रीय ब्राह्मण को भोजन कराता है तथा

आगे के पैर सफेद हों ऐसी पौडगौ मिथुन का दान करता

है वह वायु के समान सर्वत्र विचरण करता है तथा वायु

के सायुज्य को प्राप्त करता है।

भाद्रपद में जो रात्रि को भोजन करता है तथा वृक्ष

की मूल में स्थित हवन के शेष भाग का भोजन करता

है, वेद वेदांग पारंगत ब्राह्मणों को भोजन कराता है,

नील कंधा वाले बैल तथा गौ का दान करता है वह यक्ष

लोक में यक्षों का राजा बनता है।

आश्विन के माह में शंकर का यथावत पूजन कर

जो ब्राह्मण को भोजन कराता है, नीलवर्ण का बैल

तथा गौ को दान करने वाला मनुष्य ईशान लोक को

प्राप्त होता है।

कार्तिक के महीने में खीर और भात का भोजन

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