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२० # श्री लिंग पुराण #

आदि पर्व में शिव लिंग को स्नान कराने का फल, क्षुब्दथी

का बिवाद, दधीचि और विष्णु की कथा, नन्दी नाम.

वाले देवाधिदेव महादेव की उत्पत्ति, पतित्रताओं का

आख्यान, पशु-पाश का विचार, प्रवृत्ति लक्षण तथा

निवृत्ति लक्षण का ज्ञान, वशिष्ठ के पुत्रों की उत्पत्ति

तथा वशिष्ठ के पुत्र महात्मा मुनियों का वंशविस्तार,

राजशक्ति का नाश, विश्वामित्र का दुष्ट भाव तथा

कामधेनु का बांधा जाना, वशिष्ठ का पुत्र शोक,

अरुन्धती का विलाप, स्नुषा का भेजा जाना, गर्भ स्थित

बालक का बोलना, पाराशर, व्यास, शुकदेव जी का

अवतार, शक्ति पुत्रों द्वारा राक्षसो का विनाश, पुलस्त्य

की आज्ञा से देवताओं का उपकार, विज्ञान और पुराणों

का निर्माण का वर्णन इसमें है ।

लोकों का प्रमाण, ग्रह, नक्षत्रों की गति,जीवितों

के श्राद्ध का विधान, श्राद्ध एवं श्राद्ध योग्य ब्राह्मणों

के लक्षण, पंच महायज्ञो का प्रभाव ओर पंच यज्ञ की

विधि, रजस्वला के नियम, उसमें नियम पालने से पुत्र

की विशेषता, मैथुन की विधि, क्रम से हर एक वर्ण का

वर्णन, सभी के लिये भक्ष, अभक्ष का विचार, प्रायश्चित

का वर्णन विस्तार से किया गया है ।

नरकों के तस्करों का वर्णन तथा कर्म के अनुसार

दंड का विधान और दूसरे जन्म में स्वर्गीय तथा नारकीय

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