भारतदेश: | { ६३
सनेरुजा शुक्तिमती मंकुती त्रिदिवा क्रतुः ।\३९
ऋक्षवत्सप्रसूतास्ता नद्य) मणिजलाः शिवाः: }
तापी पयोष्णी निविध्या सृपा च निषधा नदी ।३२
वेणी गैतरणी चैव क्षिप्रा वाला कुंमुढती ।
तोया चेव महागौरी दुर्गा वान्नशिला तथा ।।३३
विध्यपादभ्रसुतास्ता नयः पुण्यजलाः शुभाः ।
गोदावरी भीमरथी कृष्णवेणाथ बंजुला ॥॥३४
तु गभद्रा सुप्रयोगा वाह्या कावेर्यथापि च।
दक्षिणप्रवहा नयः सहयपादाद्विनि: स्मृताः ।\३५
क्षिप्रा ओर अबन्ति ये नदियां पारिमान्न के समाश्रय वाली हैं--ऐसा
कहा गया है--णोण महानन्द हैं। सुरसा-नमंदा-क्रिया-मन्दाकिनी दशार्णा
--चित्रक्रुटा-नमसा-पिष्पला-श्येना-करमोदा और पिशोचिका--ये नदियां
हैं ।२९-३०। चित्रोपला--विशाला-- वंजुला -- वास्तुवांहिनी--सनेश्जा-
शुकतिमती-मंकुती-धिदिव्रा-क्रतु नदियां हैं ।३१। ये सव ऋक्ष वत्स पर्गते
से संभूत होने वाली हैं जिनका जल मणि के समान परम स्वच्छ और शिव
हं । तोपी-पयोष्णो-नि्विन्ध्या-सृपा ओर निषधा नदी हैं ।३२। वेणी-
नैतरणी-वाला-कुमुद्रती-तोया-महागौ री -दू्गा-वान्नशिला नदियाँ हैँ ३३
ये सव नदियां विन्ध्य गिरि के पाद से प्रसूत होने वाली हैं जिनका जल
परम पुण्यमय ह और जो बहुत ही शुभ है । गोदावरी-भीमरयो-कृभ्णज्णा-
नंजुला-तुद्धभद्रा-सुप्रयोगा-बाह्या-कानेरी--ये नदियां. दक्षिणा को ओर प्रवाह
करने वाली हैं और महा गिरि के पाद से निकलने वाली है ।३४-३५।
कृतमाला ताम्रपर्णी पृष्पजाल्युत्पलावती ।
नद्योऽभिजाता मलयात्सर्वाः णीतजलाः शुभाः ॥ ३ ६
त्रिसामा ऋषिकुल्या च बंजुला चिदिवाबला +
लांगूलिनी वंशधरा महेन्द्रतनयाः स्मृताः.॥२३७
ऋषिकुल्या कुमारी: च मंदमा मंदगामिनी ।
कृपा पलाशिनी ` चैव शुक्तिमत्प्रभवाः स्मृताः ॥॥ ३८