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डेंड०

ओरसे आवे तो यात्रामे विप्र डालनेबाला होता

है। भृगुनन्दन ! यदि कुत्ता गाह रोककर खड़ा हो

तो मार्गमे चोरोका भय सूचित करता है; मुँहमें

हड्डी लिये हो तो उसे देखकर यात्रा करनेपर कोई

लाभ नहीं होता तथा रस्सी या चिथड़ा मुखमें

रखनेवाला कुत्ता भी अशुभसूचक होता है । जिसके

मुँहमें जूता या मांस हो, ऐसा कुत्ता सामने हो तो

शुभ होता दै । यदि उसके मुँहमें कोई अमाङ्गलिक

वस्तु तथा केश आदि हो तो उससे अशुभकी

सूचना मिलती है। कुत्ता जिसके आगे पेशाब

करके चला जाता है, उसके ऊपर भय आता है;

किन्तु मूत्र त्यागकर यदि वह किसी शुभ स्थान,

शुभ वृक्ष तथा माङ्गलिक वस्तुके समीप चला

जाय तो वह उस पुरुषके कार्यका साधक होता

है। परशुरामजी ! कुत्तेकौ हौ भाँति गीदड़ आदि

भी समझने चाहिये ॥ १४-२० ॥

यदि गौएँ अकारण ही डकराने लगें तो समझना

चाहिये कि स्वामोके ऊपर भय आनेवाला है।

रातमें उनके बोलनेसे चोरोंका भय सूचित होता

है और यदि वे विकृत स्वरम करन्दन करें तो

मृत्युकी सूचना मिलतो है। यदि रातमें बैल गर्जना

करे तो स्वामीका कल्याण होता है और साँड

आवाज दै तो राजाको विजय प्रदान करता है।

यदि अपनी दी हुई तथा अपने घरपर मौजूद

रहनेवाली गौएँ अभक्ष्य-भक्षण करें और अपने

बछड़ोंपर भी ख्रेह करना छोड़ दें तो गर्भक्षयकी

सूचना देनेवाली मानी गयी हैं। पैरोंसे भूमि

खोदनेवाली, दीन तथा भयभीत गौं भय लानेवाली

होती हैं। जिनका शरीर भीगा हो, रोम-रोम प्रसन्‍नतासे

खिला हो और सींगोंमें मिट्टी लगी हुई हो, वे

गौएँ शुभ होती हैं। विज्ञ पुरुषको भैंस आदिके सम्बन्धे

भी यही सब शकुन बताना चाहिये॥ २१-- २४९ ॥

जीन कसे हुए अपने घोड़ेपर दूसरेका चढ़ना,

के अग्निपुराण के

जगह चक्कर लगाना अनिष्टका सूचक है। बिना

किसी कारणके घोड़ेका सो जाना विपत्तिर्मे

डालनेवाला होता है। यदि अकस्मात्‌ जई और

गुड़की ओरसे घोड़ेको अरुचि हो जाय, उसके

मुँहसे खून गिरने लगे तथा उसका सारा बदन

काँपने लगे तो ये सब अच्छे लक्षण नहीं हैं; इनसे

अशुभकी सूचना मिलती है। यदि घोड़ा बगुलों,

कबूतरों और सारिकाओंसे खिलवाड़ करे तो

मृत्युका संदेश देता है। उसके नेत्रोंसे आँसू बहे

तथा वह जीभसे अपना पैर चाटने लगे तो विनाशका

सूचक होता है। यदि वह बायें टापसे धरती

खोदे, बायीं करवरसे सोये अथवा दिनमें नींद ले

तो शुभकारक नहीं माना जाता।जो घोड़ा एक

बार मूत्र करनेवाला हो, अर्थात्‌ जिसका मूत्र एक

बार थोड़ा-सा निकलकर फिर रुक जाय तथा

निद्राके कारण जिसका मुँह मलिन हो रहा हो,

वह भय उपस्थित करनेवाला होता है। यदि वह

चढ़ने न दे अथवा चढ़ते समय उलटे घरमें चला

जाय या सवारकी बायीं पसलीका स्पर्श करने

लगे तो वह यात्रामें विष्न पड़नेकी सूचना देता

है। यदि शत्रु-योद्धाको देखकर होंसने लगे और

स्वामीके चरणोंका स्पर्श करे तो वह विजय

दिलानेवाला होता है॥ २५--३१॥

यदि हाथी गाँवमें मैथुन करे तो उस देशके

लिये हानिकारक होता है । हथिनो गाँवमें बच्चा दे

या पागल हो जाय तो राजाके विनाशकी सूचना

देती है। यदि हाथी चढ़ने न दे, उलटे हथिसारमें

चला जाय या मदकी धाग बहाने लगे तो वह राजाका

घातक होता है। यदि दाहिने पैरको बायेंपर

रखे और सूँड्से दाहिने दाँतका मार्जन करे तो वह

शुभ होता है॥ ३२--३४॥

अपना बैल, घोड़ा अथवा हाथी शत्रुकी सेनामें

चला जाय तो अशुभ होता है। यदि थोड़ी ही

उस घोड़ेका जलमें बैठना ओर भूमिपर एक हौ | दूरमें बादल घिरकर अधिक वर्षा करे तो सेनाका

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