उत्तरखण्ड ]
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मुनिश्रेष्ठ ! कार्तिककी 'प्रबोधिनी' एकादज्ञीके दिन
बहुत-से फल-फूल, कपूर, अरगजा और द्रा
श्रीहरिक पूजा करनी चाहिये। एकादशी आनेपर धनकी
कंजूसी नहीं करनी चाहिये; क्योकि उस दिन दान आदि
करनेसे असंख्य पुण्यकी प्राप्ति होती है । 'प्रबोधिनी' को
जागरणके समय शङ्कमे जल केकर फल तथा नाना
प्रकारके द्रव्योकि साथ श्रोजनार्दनको अर्घ्य देना चाहिये ।
सम्पूर्ण तीथॉमें स्नान करने और सब प्रकारके दान देनेसे
जो फल मिलता है, वही 'प्रबोधिनी' एकादज्ीको अर्ध्य
देनेसे करोड़ गुना होकर प्राप्त होता है। देवर्षे ! अर्थ्यके
पश्चात् भोजन-आच्छादन और दक्षिणा आदिके द्वारा
भगवान् विष्णुको प्रसन्नताके लिये गुरुकी पूजा करनी
चाहिये। जो मनुष्य उस दिन श्रीमद्भागवतकी कथा
सुनता अथवा पुराणका पाठ करता है, उसे एक-एक
अक्षरपर कपिल्थदानका फल मिलता है। मुनिश्रेष्ठ !
कार्तिके जो मनुष्य अपनी शक्तिके अनुसार शास्त्रोक्त
रीतिसे वैष्णवत्रत (एकादशी) का पालन करता है,
उसकी मुक्ति अविचल है। केतकीके एक पत्तेसे पूजित
» पुरुषोत्तम मासकी 'कमत्म' और 'कामदा' एकादशीका पाहार्प्य =
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होनेपर भगवान् गरुडध्वज एक हजार वर्षतक अत्यन्त
तृप्र रहते है। देव ! जो अगस्तके फूठसे भगवान्
जनार्दनकी पूजा करता है, उसके दर्शनमात्रसे नरककी
आग बुझ जाती है। वत्स ! जो कार्तिके भगवान्
जनार्दनको तुलसीके पत्र और पुष्प अर्पण करते हैं,
उनका जन्मभरका क्रिया हुआ सारा पाप भस्म हो जाता
है। मुने ! जो प्रतिदिन दर्शन, स्पर्श, ध्यान, नाम-कीर्तन,
स्तवन, अर्पण, सेचन, नित्यपूजन तथा नमस्कारके द्वारा
तुलसीमें नव प्रकास्की भक्ति करते हैं, वे कोटि सहस्र
युगोतक पुण्यका विस्तार करते हैं।* नारद ! सव
प्रकारके फूलों और पत्तोंको चढ़ानेसे जो फल होता है,
वह कार्तिक मासमे तुलसीके एक पत्तेसे सिल जाता है ।
कार्तिक आया देख प्रतिदिन नियमपूर्वकं तुलसीके
कोमल पत्तोंसे महाविष्णु श्रीजनार्दनका पूजन करना
चाहिये । सौ यज्ोंद्रार देवताओंका यजन करने और
अनेक प्रकारके दान देनेसे जो पुण्य होता है, यह
2 ।
पुरुषोत्तम मासकी "कमला" और "कामदा" एकादशीका माहात्म्य
युधिष्ठिरने पूछा--भगवन् ! अब मैं श्रोविष्णुके
ज़तोंमें उत्तम ब्रतका, जो सब पापौको हर छेनेबवाल्ला तथा
व्रती मनुष्योंको मनोवाञ्छित फल देनेवाला हो, श्रवण
करना चाहता हूँ। जनार्दन! पुरुषोत्तम मासकी
एकादज्ञीकी कथा किये, उसका क्या फल है ? और
उसमें किस देवताका पूजन किया जाता है? प्रभो!
किस दानका क्या पुण्य है? मनुष्योंको क्या करना
चाहिये ? उस समय कैसे स्नान किया जाता है ? किस
मन्त्रका जप होता है ? कैसी पृजन-विधि बतायी गयी
है ? पुरुषोत्तम ! पुरुषोत्तम मासे किस अनका भोजन
उत्तम है?
भगयान् श्रीकृष्ण जोले--राजेद्र अधिक
मास आनेपर जो एकादशी होती है, वह 'कमला' नामसे
प्रसिद्ध है। नह तिधिर्यमिं उत्तम तिधि है। उसके ब्रतके
प्रभावसे लक्ष्मी अनुकूल होती है । उस दिन ब्राह्म
मुहूर्तमें उठकर भगवान् पुरुषोत्तमका स्मरण करे और
विधिपूर्वक स्नान करके व्रती पुरुष ब्रतका नियम ग्रहण
करे । घरपर जप करनेका एक गुना, नदीके तटपर दूना,
गोशालामें सहस्नरगुना, अग्निहोत्रगृहमें एक हजार एक सौ
गुना, झिकके क्षेत्रोमें, तीथॉमें, देवताओंके निकट तथा
तुस्कसीदलपुष्पाणि ये यच्छन्ति जनार्दने | कार्तिके खक कतस पापं जन्मार्जिते दहेतू॥
दृष्टा स्पृष्टाथ चा ध्याता कीर्तिः मतः स्नुत । रोषित) सेचिता नित्यै पूजिता तुलसी नता ॥
नवधा तुलसोभक्ति ये कुर्वन्ति दिने दिने। युगकोिसहस्राणि चन्वन्ति सुकृत मुने ॥ (६३। ६१८०-६३)