६६ * संक्षिप्त ब्रह्मपुराण *
भलीभाँति देख नहीं पाती। दिवाकर! आप ऐसी | सिद्ध हो जानेके कारण तपस्यासे निवृत्त हो
कृपा करें, जिससे मुझे आपके रूपका भलीभाँति | गयीं। तत्पश्चात् वर्षके अन्तर्मे देवमाता अदितिकी
दर्शन हो सके। भक्तोंपर दया करनेवाले प्रभो! मेरे | इच्छा पूर्ण करनेके लिये भगवान् सविताने
पुत्र आपके भक्त हैं। आप उनपर कृपा करें। | उनके गर्भमें निवास किया। उस समय देवी
तब भगवान् भास्करने अपने सामने पड़ी हुई | अदिति यह सोचकर कि मैं पविश्नतापूर्वक हौ
देवीको स्पष्ट दर्शन देकर कहा--' देवि ! आपकी | इस दिव्य गर्भको धारण करूँगी, एकाग्रचित्त
जो इच्छा हो, उसके अनुसार मुझसे कोई एक वर | होकर कृच्छर और चान्द्रायण आदि ब्रतोंका
माँग लें।' पालन करने लगीं। उनका यह कठोर नियम
स ¢ ५॥ ) ॥ | देखकर कश्यपजीने कुछ कुपित होकर कहा--' तू
नित्य उपवास करके गर्भके बच्चेको क्यों मारे
५ , डालती है।' तब वे भी रुष्ट होकर बोलीं--' देखिये,
से | यह रहा गर्भका बच्चा। मैंने इसे नहीं मारा है,
| यही अपने शत्रुओंका मारनेवाला होगा।' यों
ठ | ककर देवमातने उसो समय उस पर्भका उव
किया। बह उदयकालीन सूर्यके समान तेजस्वी
| अण्डाकार गर्भ सहसा प्रकाशित हो उठा। उसे
देखकर कश्यपजीने वैदिक वाणीके द्वारा आदरपूर्वक
उसका स्तवने किया। स्तुति करनेपर उस गर्भसे
बालक प्रकट हो गया। उसके श्रीअज्ञोंकी आभा
ए. पद्मपत्रके समान श्याम थो । ठसका तेजं सम्पूर्ण
8 है | दिशाओंमें व्यात हो गया। इसी समय अन्तरिक्से
~ -~- 722 कश्यप मुनिको सम्बोधित करके सजल मेघके
अदिति बोलीं - देव ! आप प्रसन्न हों। अधिक । समान गम्भीर स्वरमें आकाशवाणी हुई--“मुने!
बलवान् दैत्यों और दानर्वोने मेरे पुत्रोंक हाथसे | तुमने अदितिसे कहा था--'त्वया मारितम् अण्डम्'
्रिलोकौका राज्य ओर यज्ञभाग छीन लिये हैं।| (तूने गर्भके बच्चेकों मार डाला), इसलिये
गोपते ! उन्हींके लिये आप मेरे ऊपर कृपा करें। | तुम्हारा यह पुत्र मार्तण्डके नामसे विख्यात होगा
अपने अंशसे मेरे पुत्रके भाई होकर आप उनके । ओर यज्ञभागका अपहरण करनेवाले अपने शत्रुभूत
शत्रुओंका नाश करें । असुरोका संहार करेगा।' यह आकाशवाणी
भगवान् सूर्ये कहा ~ देवि ! मैं अपने हजारे | सुनकर देवताओंको बड़ा हर्ष हुआ और दानव
अंशसे तुम्हारे गर्भका बालक होकर प्रकट होऊँगा | हतोत्साह हो गये । तत्पश्चात् देवताओं सहित
ओर तुम्हारे पुत्रके शत्रुओंका नाश करूँगा। | इन्द्रने दैत्योंको युद्धके लिये ललकारा। दानवोनि
यों कहकर भगवान् भास्कर अन्तर्धान हो | भी आकर उनका सामना किया। उस समय
गये और देवौ अदिति भी अपना समस्त मनोरथ ` देवताओं और असुरोंमें बड़ा भयानक युद्ध