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+ श्रीकृष्णजन्मखण्ड *

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| 4 4 । क्र

कंसके द्वारा रातमें देखे हुए दूसस्वप्रॉका वर्णन और उससे अनिष्टकी आशङ्का, पुरोहित

सत्यकका अरिष्ट-शान्तिके

शत्रु बताना और उन्हें व्रजसे

धनुर्यज्ञका बताना, कंसका

बुलानेके

वसुदेवजीको प्रेरित करना,

वसुदेवजीके अस्वीकार करनेपर अक्रको वहां जानेकी आज्ञा

देना, ऋषिगण तथा

भगवान्‌ नारायण कहते हैं--नारद! इधर

का आगमन

लपलपाती हुई बड़ी भयंकर दिखायी देती है।

मथुरामे राजा कंस बुरे सपने देख विशेष चिन्तामें |इसी तरह एक दूसरी काली स्त्री है, जो काले

पड़कर अत्यन्त भयभीत हो उद्िग्र हो उठा।

उसकी खाने-पीनेकौ रुचि जाती रही । उसके

मनमें किसी प्रकारकी उत्सुकता नहीं रह गयी ।

वह अत्यन्त दुःखी हो पुत्र, मित्रे, बन्धु-बान्धव

तथा पुरोहितको सभामें बुलाकर उनसे इस

प्रकार बोला।

कंसने कहा--मैंने आधी रातके समय जो

बुरा सपना देखा है, वह बड़ा भयदायक है; इस

सभामें बैठे हुए समस्त विदान्‌, बन्धु-बान्धव और

पुरोहित उसे सुनें। मेरे नगरमे एक अत्यन्त वृद्धा

और काले शरीरवाली स्त्री नाच कर रही है। वह

लाल फूलोंकी माला पहने, लाल चन्दन लगाये

तथा लाल वस्त्र धारण किये स्वभावतः अट्टृहास

कपड़े पहने हुई है। देखनेमें महाशूद्री विधवा जान

पड़ती है। उसके केश खुले हैं और नाक कटी

हुई है। बह मेरा आलिङ्गन करना चाहती है।

उसने मलिन वस्त्रखण्ड, रूखे केश तथा चूर्ण

तिलक धारण कर रखे है । पुरोहित सत्यकजी !

मैंने देखा है कि मेरे कपाल और छातीपर ताड़के

पके हुए काले रंगके छिन्न-भिन्न फल बड़ी भारी

आवाजके साथ गिर रहे हैं। एक मैला-कुचैला

विकृत आकार तथा रूखे केशवाला म्लेच्छ मुझे

आभूषण बनानेके निमित्त टूटी-फूटी कौड़ियाँ दे

रहा है। एक पति-पुत्रवाली दिव्य सती स्त्रे

अत्यन्त रोषसे भरकर बारंबार अभिशाप दे भरे

हुए घड़ेको फोड़ डाला है। यह भी देखा कि

> | महान्‌ रोषसे भरा हुआ एक ब्राह्मण अत्यन्त शाप

दे मुझे अपनी पहनी हुई माला, जो कुम्हलाई

नहीं थी और रक्त चन्दनसे चर्चित थी, दे रहा

है। यह भी देखनेमें आया कि मेरे नगरमें एक-

एक क्षण अङ्गार, भस्म तथा रक्तकी वर्षा हो रही

है। मुझे दिखायी दिया कि वानर, कौए, कुत्ते,

भालू, सूअर और गदहे विकट आकारमें भयानक

† | शब्द कर रहे हैं। सूखे काष्टोंकी राशि जमा है,

2. जिसकी कालिमा मिटी नहीं है। अरुणोदयकी

"है | बेलामें मुझे बंदर और कटे हुए नख दृष्टिगोचर

हुए। मेरे महलसे एक सती स्त्री निकली, जो

कर रही है। उसके एक हाथमें तीखी तलवार | पीताम्बर धारण किये, श्वेत चन्दनका अङ्गराग

है और दूसरेमें भयानक खप्पर। वह जीभ | लगाये, मालतीकी माला धारण किये रत्रमय

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