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रूब तुरंत ही घोड़ेके समीप गये । रघुकुलमें उत्पन्न कुमार

रतव कंधेपर घनुष-बाण धारण किये उस घोड़ेके समीप

ऐसे सुशोभित हुए मानो दुर्जय वीर जयन्त दिखायी दे रहा

हो। घोड़ेके लत्म्रटमें जो पत्र बैंधा था, उसमें सुस्पष्ट

यर्णमाल्न्रओंद्वार कुछ पड्तक्तियाँ लिखी थीं; जिनसे

उसकी बड़ी शोभा हो रही थी। लवने पहुँचकर मुनि-

पुत्रोंके साथ बह पत्र पढ़ा | पढ़ते ही उन्हें क्रोध आ गया

और वे हाथमे धनुष लेकर ऋषिकुमारोंसे बोले, उस

समय रोषके कारण उनकी वाणी स्पष्ट नहीं निकल पाती

थी। उन्होंने कहा--“अरे ! इस क्षत्रियकी धृष्टता तो ; ष ९

देखो, जो इस घोड़ेके भाल-पत्रपर इसने अपने प्रताप

और बलका उल्लेख किया है । राम क्या है, झात्रुघ़्की

क्या हस्ती है ? ख्या ये ही लोग क्षत्रियके कुलूमें उत्पन्न

[ संक्षिप्त पद्मपुराण

बी]

हुए हैं? हमल्लोग श्रेष्ठ क्षत्रिय नहीं हैं ?' इस प्रकारकी र {

बहुत-सी बातें कहकर कवने उस घोङेको पकड़ लिया

और समस्त राजाओंको तिनकेके समान समझकर हाथमे

धनुष-बाण ले वे युद्धके लिये तैयार हो गये । मुनिपुत्रोनि

देखा कि कव घोड़ेका अपहरण करना चाहते हैं, तो वे

उनसे बोले--' कुमार ! हम तुम्हें हितकी बात बता रहे

हैं, सुनो, अयोध्याके राजा श्रीराम बड़े बछवान्‌ और

पराक्रमी हैं। अपने बलक़ा घमंड रखनेवाले इन्द्र भी

उनका घोडा नहीं छू सकते [फिर दूसरेकी तो बात हौ

क्‍या है ?]; अतः तुम इस अश्वकों न पकड़ो।'

यह सुनकर र्यने कहा--'तुमलोग ब्राह्मण-

यालक हो; क्षत्रियोंका वल क्या जानो । क्षत्रिय अपने

पराक्रमके लिये प्रसिद्ध होते हैं, किन्तु ब्राह्मणत्त्ेग केवल

भोजनमें ही पटु हुआ करते है । इसलिये तुमलोग घर

जाकर माताका परोसा हुआ पक्कान्न उड़ाओ !' लवके

ऐसा कहनेपर मुनिकुमार चुप हो रहे और उनका पराक्रम

देखनेके लवि दूर जाकर खड़े हो गये। तदनन्तर, राजा

श॒त्रुघ्तके सेवक वहाँ आये और घोड़ेको बैंधा देखकर

रखा है ? किसके ऊपर आज यमराज कृपित हुए है ?

लकने तुरेत उत्तर दिया-- “मैने इस उत्तम अश्वको याँध

रखा है, जो इसे छुड़ाने आयेगा, उसके ऊपर मेरे बड़े

भाई कुदा ज्ञीघ्र ही क्रोध करेंगे। यमराज भी आ

जाये तो क्या कर लेंगे? हमारे बाणोंकी बौछारसे

सन्तुष्ट होकर स्वयं ही माथा टेक देंगे और तुरंत अपनी

राह लेंगे।'

लबकी बात सुनकर सेवकॉने आपसमें कहा--

"यह बेचारा बालक है ! [इसकी बातपर ध्यान नहीं देना

चाहिये] ।' तत्पश्चात्‌ वे बैधे हुए घोड़ेको खोलनेके लिये

आगे बढ़े। यह देख लवने दोनों हाथोंमें धनुष धारणकर

जन्नुघ्नके सेवकोपर क्षुरप्रोंका प्रहार आरम्भ किया । इससे

उनकी भुजाएँ कट गयीं और वे शोकसे व्याकुल होकर

जात्रुघ़्के पास गये। पुछनेपर सबने ल्वके द्वारा अपनी

विं काटी जानेका समाचार कह सुनाया ।

कसम है पेय

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