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धणं

खान-दान और पूजनका फल, भूमि-वाराह-

संवाद, यम और ब्राह्मणकी कथा, राजदूतोंका

संवाद, श्रीकृष्णस्तोत्रका निरूपण, शिवशम्भु-समागम,

दधीचिकी कथा, भस्मका अनुपम माहात्म्य, उत्तम

शिव- माहात्म्य, देवरातसुतोपाख्यान, पुराणवेत्ताकौ

प्रशंसा, गौतमका उपाख्यान और शिवगीता तथा

कल्पान्तरे भरद्राज-आश्रममें श्रीरामकथा आदि

विषय "पातालखण्ड'के अन्तर्गत हँ । जो सदा

इसका श्रवण और पाठ करते है, उनके सब

पापोंका नाश करके यह उन्हें सम्पूर्ण अभीष्ट

फर्लोकी प्राप्ति कराता है।

पाँचवें खण्डमें पहले भगवान्‌ शिवके द्वारा

गौरीदेवीके प्रति कहा हुआ पर्वतोपाख्यान है।

तत्पश्चात्‌ जालन्धरकी कथा, श्रीशैल आदिका

माहात्म्यकीर्तन और राजा सगरकी पुण्यमयी कथा

है । उसके बाद गङ्गा, प्रयाग, काशौ ओर गयाका

अधिक पुण्यदायक माहात्म्य कहा गया है । फिर

अन्नादि दानका माहात्म्य और महाद्रादशीत्रतका

उल्लेख है। तत्पश्चात्‌ चौबीस एकादशिवोका पृथक्‌-

पृथक्‌ माहात्म्य कहा गया है । फिर विष्णुधर्मका

निरूपण और विष्णुसहसननामका वर्णन है । उसके

बाद कार्तिकव्रतका माहात्म्य, माध-स्नानका फल

तथा जम्बृद्रौपके तौर्थोको पापनाशकं महिमाका

वर्णन है । फिर साभ्रमती (साबरमती )- का माहात्म्य,

नृसिंहोत्पत्तिकथा, देवशर्मा आदिका उपाख्यान और

गीतामाहात्म्यका वर्णन है। तदनन्तर भक्तिका

आख्यान, श्रोमद्धागवतका माहात्म्य ओर अनेक

तोर्थोको कथासे युक्त इन्दरप्रस्थको महिमा है।

इसके वाद मन्त्ररत्रका कथन, त्रिपादविभूतिका

वर्णन तथा मत्स्य आदि अवतारोकी पुण्यमयी

संक्षिप्त नारदपुराण

अवतार-कथा है । तत्पश्चात्‌ अष्टोत्तरशत दिव्य

राम-नाम और उसके माहात्म्यका वर्णन है।

वाडव ! फिर महर्षि भृगुद्रारा भगवान्‌ विष्णुके

वैभवकी परीक्षाका उल्लेख है। इस प्रकार यह

पाँचवाँ “ उत्तरखण्ड' कहा गवा है, जो सव प्रकारके

पुण्य देनेवाला है। जो श्रेष्ठ मानव पाँच खण्डोंसे

युक्त पद्मपुराणका श्रवण करता है, वह इस लोकमें

मनोवाच्छित भोगोंको भोगकर वैष्णव धामको प्राप्त

कर लेता है। यह प्रद्मयपुरुण पचपन हजार श्लोकोंसे

युक्त है। मानद! जो इस पुराणको लिखवाकर

पुराणज्ञ ब्राह्मणका भलीभाँति सत्कार करके ज्येष्ठकी

पूर्णिमाको स्वर्णमय कमलके साथ इस लिखित

पुराणका उक्त पुराणवेत्ता ब्राह्मणको दान करता है,

बह सम्पूर्ण देवताओंसे वन्दित होकर वैष्णव धामको

चला जाता है । जो पद्मपुराणकी इस अनुक्रमणिकाका

पाठ तथा श्रवण करता है, वह भी सम्पूर्ण पद्मपुराणके

श्रवणजनित फलको प्राप्त कर लेता है।

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