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कलियुगीन भावी राजा ] [ ४६५

आन्ध्राणां संस्थितता राज्येतेषांभृत्यान्वयेनू पा: । १७

सप्तैवान्ध्रा भविष्यन्ति दशाभी रास्तथा नृपा: ।

सप्रगदभिलाश्चापि शकाश्चाष्टादशेव तु ।१८

यवनाष्टौ भविष्यन्ति तुषा राश्च चतुदश ।

त्रयोदश गु (नु) रु डाश्च हुणाह्य कोन विशतिः ।१६

यवनाष्टौभविष्यन्तिसप्तशी तिमंहीमिमाम्‌ ।

सप्तगश्दे भिला भूयोभोक्ष्यन्ती मां वसुन्धराम्‌ ।२०

सप्तवर्षसहस्राणि तुषाराणां मही स्मृता ।

एतानि त्रीण्यशीतिड्च शतान्यष्टादशेैब तु ।२१

हे द्विज ! इसके पश्चात्‌ केवल छे वर्ष ही विजय इसका राजा

हुआ था । चण्डश्री और शान्तिकर्ण उसका पुत्र दश वर्ष तक शासक रहा

था | सुलोमा सष वर्ष तक होना फिर उनका अन्य होना इस तरह से ये

इक्कीस आन्ध्र राजा इस मही का भोग करेंगे ।१५-१६। उनके शातन

का काल एक सौ वषं और चौसठ होगा आन्ध्रों के राज्य में उनके भृत्यों

केबशमेंनृप संस्थित होंगे । सात ही आन्ध्र तथा दश आभीर नृप

होंगे साद गर्देभिल भी होंगे तथा अट्ठारह शक्र होगे । आठ यवन

राजा होंगे और चौदह तुषार नृपति होगे । तेरह गुरुड राजा होंगे तथा

उन्नीस बण राजा इस मही का शासन करगे । इस मही को सत्तासी

वपं तक आठ यत्रन भोगेंगे तथा सात गदंभिल फिर इस वसुन्धरा का

उपभोग करगे । यह मही सात हजार वर्ष तक तुषारों की बतलाई गई

है । तीन सौ अस्सी और अट्‌ठारह सौ वषं तक का समय बताया गया

है । १७-२१।

शतान्यद्धंज्चतुष्काणि भवितव्यास्त्रयोदश ।

गु (मु) रण्डा वृषलैः साधं भोभ्यन्ते म्लेच्छस्रम्भवाः ।५२

शतानि त्रीणिभोक्ष्यन्ते वर्षाण्येकादशैव तु ।

अशन्ध्राः श्रीपाव्गतीयाश्चतेद्धिपञ्चाशतसमाः ।२३

सप्तषष्टिस्तुवर्पाणि दणाभीरास्तथैव च ।

तेषत्सन्न षु कालेन ततः किलकिला नृपाः । २४

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