१९६ ॐ श्री लिंग पुराण #
पदायोनि ब्रह्म ने अधिपति बनाकर अभिषेक किया था।
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सूर्य की किरणों का वर्णन
सूतजी बोले--संशय में युक्त मुनि लोगों ने पूछा
कि हे सूतजी! ज्योति का निर्णय विस्तार से कहिए।
हे मुनियो! सूर्य चन्द्र आदि की गतियों को पितामह
ब्रह्मा ने इस लोक में अग्नि का विभाग किया है, सो
पार्थिव दिव्य आदि भेद से अनेक प्रकार के हैं। वैदिक
जाठर, सौर ये तीनों अग्नि, जल, गर्भ वाली हैं। इससे
सूर्य अपनी किरणों से जल पीता हुआ चमकता है। जल
से पैदा हुई अग्नि जल से नहीं शान्त होती। मनुष्यों के
उद्र में जो अग्नि है वह भी शान्त नहीं होती, सूर्य उदय
होता है और जल में शान्त होता है। इसी को दिन और
रात का विभाग कहते हैं। चन्द्रमा भी मनुष्य, पितृ तथा
देवताओं को तृप्त करता है। मनुष्यों को औषधियों से,
सुधा से पितृयों को तथा अमृत से देवताओं को तृप्त
करता है। हेमन्त में तथा शिशिर ऋतु में बर्फ को उत्पन्न
करता है।
माघ मास में सूर्य वरुण नाम से, फाल्गुन में सूर्य