उत्तरभाग
पूजन करके तीर्थसेवी पुरुष सम्पूर्ण भोगसामग्रियोंसे
सम्पन्न होता है। च्यवनेश्वरके पूजनसे मानव
भगवान् शिवका अनुचर होता है। प्रजापाले श्वरकी
पूजासे धन-धान्यकी वृद्धि होती है। बालादित्यकी
पूजा करनेवाला मनुष्य विद्वानू और धनवान्
होता है। कुबेरस्थानमें स्नान करके मानव निश्चय
ही निधि पाता है। ऋषितोया नदीमें जाकर वहाँ
स्नान करनेसे मानव पवित्र हो ब्राह्मणको सुवर्णं
दान करे तो सब पातकोंसे छूट जाता है।
सड्जालेश्वरकी पूजा करनेसे रुद्रलोकमें प्रतिष्ठा प्राप्त
होती है।
तदनन्तर नारायणदेवकी पूजा करनेसे मनुष्य
मोक्षका भागी होता है। तप्तकुण्डोदकमें स्नान
करके मूलचण्डी श्वरकी पूजा करे। इससे समस्त
पापोंसे मुक्त हुआ मानव मनोवाञ्छित वस्तुको पा
लेता है। चतुर्मुख विनायककी पूजा करनेसे भी
अभीष्ट वस्तुकी प्राप्ति होती है। क्षेमादित्यके
पूजनसे मनुष्य क्षेमयुक्त, सफलमनोरथ तथा सत्यका
भागी होता है। रुक्मिणी देवीकी पूजा कौ जाय
दुर्वासे श्रर
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ओर पिङ्खेश्वरकौ पूजा करनेसे मनुष्य पापमुक्त हो
जाता है। भद्रासड्भममें स्नान करके मनुष्य सैकड़ों
कल्याणकौ बातें देखता है। मोक्षतीर्थमें स्नान
करके मानव भवसागरसे मुक्त हो जाता है।
नारायणगृहमें जाकर मानव फिर कभी शोक नहीं
करता। हुंकारतीर्थमें स्नान करनेवाला पुरुष गर्भवासका
कष्ट नहीं पाता तथा चण्डीश्वरका पूजन करनेसे
सब तीर्थोका फल मिल जाता है। आशापुरनिवासी
विप्रेध्वका पूजन करनेसे विश्नकी प्राप्ति नहीं
होती । कलाकुण्डमे स्नान करनेवाला मानव निस्संदेह
मोक्षका भागी होता है । नारदेश्वरका पूजक भगवान्
विष्णु और शङ्करका भक्त होता है । भल्लतीर्थमें
स्नान करके मानव समस्त पापोंसे मुक्त हो जाता
है ओर कर्दमालतीर्थमें स्नानं करनेसे मनुष्यके
समस्त पातक दूर हो जाते है । गुप्त सोमनाथका
दर्शन करके मनुष्य फिर कभी शोके नहीं
पड़ता। श्रृज्"ेधस्का पूजन करनेवाला पुरुष
दुःखोंसे पीड़ित नहीं होता। नारायणतीर्थमें स्नान
करनेवाला मानव मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
मार्कण्डेयेश्वरके पूजनसे मनुष्य दीर्घायु होता है।
कोटिहृदमें स्नान करके कोटीश्वरका पूजन
करनेसे मानव सुखी होता है। फिर सिद्धस्थानमें
स्नान करके जो मनुष्य वहाँके असंख्य शिव-
लिड्रोंका पूजन करता है, वह इस पृथ्वीपर सिद्ध
होता है। दामोदरगृहका दर्शन करके मनुष्य उत्तम
सुख पाता है। शुभे! प्रभासके नाभिस्थाने
वस्त्रापथतीर्थ है। वहाँ भगवान् शङ्भरकी आराधना
करनेसे मनुष्य स्वयं साक्षात् शङ्करके समान हो
जाता है । दामोदरमें स्वणरिखातीर्थ, रैवतक पर्वतपर
ब्रह्मकुण्ड, उज्जयन्ततीर्थमें कुन्तीश्वर ओर महातेजस्वी
भीमेश्वर तथा वस्त्रापथक्षेत्रमें मृगीकुण्डतीर्थ सर्वस्व
माना गया है। इनमें क्रमशः स्नान करके
देवताओंका यत्रपूर्वक पूजन तथा जलसे पितरोंका