& श्री लिंग पुराण के २७७
बीज सहित संपुट सहित सौ लाख जप करने वाला पवित्र
आत्मा परम गति को प्राप्त होकर मुझे पाता है। जो इस
पंचाक्षर विधि को देव या पितृ कार्य में ब्राह्मणों से सुनेगा
या सुनायेगा वह परम गति को प्राप्त होगा।
गै
ध्यान यज्ञ वर्णन
ऋषि ने पूछा--हे सूतजी! विरक्त और ज्ञानियों के
द्वारा ध्यान योग श्रेष्ठ कहा गया है। सो आप हमें ध्यान
योग को विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
सूतजी ने कहा--एक बार एक गुफा में शिवजी
महाराज भवानी के साथ सुखपूर्वक विराजमान थे। तब
वहाँ पर मुनीश्वरों ने आकर उन्हें प्रणाम किया और
स्तुति की। हे वृषभध्वज! अत्यन्त कालकूट नाम के विष
को आपने नष्ट कर दिया। आप में ही सम्पूर्ण जगत
स्थित है। इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने कहा- हे ऋषियो!
कालकूट विष नहीं है किन्तु यह संसार ही विष है । इससे
सब प्रकार इस संसार से बचना चाहिए । देखा हुआ तथा
सुना हुआ दोनों प्रकार का जो त्याग कर देता है वही
संसार कहा है । निवृत्त लक्षण धर्म है और अज्ञान मूलक