उत्तरभाग
खड़ाऊँ आदि)-के त्यागका नियम लेनेपर जूता
दान करे। नमकका त्याग करनेपर गोदानं करे।
प्रिये! जो इस अभीष्ट ब्रतमें प्रतिदिन देवमन्दिरमें
दीप-दान करता है, वह सुवर्णं अथवा ताँबेका
घृतयुक्त दीपक दान करे तथा ब्रतकी पूर्तिके लिये
वैष्णवको वस्त्र एवं छत्र दान करे। जो एक
दिनका अन्तर देकर उपवास करता है, वह रेशमी
वस्त्र दान करे। त्रिरात्र-ब्रतमें सुवर्ण तथा वस्त्राभूषणोंसे
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अलंकृत शय्यादान करे । षड्रात्र आदि उपवासे
६१५
छत्रसहित शिविका (पालकी) दान करे। साथ
हौ हौकिनेवाले पुरुषके साथ मोटा-ताजा गाड़ी
खींचनेवाला बैल दान करे। एक भक्त (आठ
पहरमें केवल एक बार भोजन करनेके) व्रतका
नियम लेनेपर बकरी और भेड़ दान करे। फलाहारका
नियम ग्रहण करनेपर सुवर्णका दान करें। शाकाहारके
नियममें फल, घी और सुवर्ण दान करे। सम्पूर्ण
रसों तथा अबतक जिनकी चर्चा नहीं कौ गयी,
ऐसी वस्तुओंका त्याग करनेपर अपनी शक्तिके
अनुसार सोने-चाँदीका पात्र दान करे। सुधु!
जिसके लिये जो दान कर्तव्य बताया गया है,
उनका पालन न हो सके तो भगवान् विष्णुके
स्मरणपूर्वक ब्राह्मणकी आज्ञाका पालन करे।
सुन्दरी! देवता, तीर्थ और यज्ञ भी ब्राह्मणोंके
वचनका पालन करते हैं; फिर कल्याणकी इच्छा
रखनेवाला कौन विद्वान् मनुष्य उनकी आज्ञाका
उल्लडूडन करेगा। प्रिये! भगवान् विष्णुने ब्रह्माजीको
जिस प्रकार यह धर्म-रहस्यसे युक्त उपदेश दिया
(: || था, वही मैंने तुमसे प्रकाशित किया है। यह दूसरे
| | अनधिकारियोंके सामने प्रकट करने योग्य नहीं
| | है। यह दान और ब्रत भगवान् विष्णुकी प्रसन्नताका
हेतु और मनोवाज्छित फल देनेवाला है।
#3+४<- के 420५/२००
राजा रुक्माङ्गदकी आज्ञासे रानी संध्यावलीका कार्तिक मासमें कृच्छुत्नत प्रारम्भ
करना, धर्माङ्गदकी एकादशीके लिये घोषणा, मोहिनीका राजासे
एकादशीको भोजन करनेका आग्रह और राजाकी अस्वीकृति
मोहिनी बोली--राजेन्द्र आपने कार्तिक मासमें
उपबासके विषयमें जो बातें कही हैं, वे बहुत
उत्तम हैं। पर राजाओंके लिये तीन ही कर्म प्रधान
रूपसे बताये गये हैं। पहला कर्म है दान देना,
दूसरा प्रजाका पालन करना तथा तीसरा है विरोधी
राजाओंसे युद्ध करना। आपको यह ब्रत नहीं
करना चाहिये। मैं तो आपके बिना कहीं दो घड़ी
भी नहीं रह सकती; फिर तीस दिनोंतक मैं आपसे
अलग कैसे रह सकती हूँ। वसुधापते ! आप जहाँ
उपवास करना उचित मानते हैं, वहाँ उपवास न
करके महात्मा ब्राह्मणोंकों भोजन-दान करें अथवा
यदि उपवास ही आवश्यक हो तो आपको जो