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$ श्री लिंग पुराण # १७९

परागति को प्राप्त होते हैं।

नाभि के पुत्र और मेरुदेवी पत्नी से सर्वश्रेष्ठ,

बुद्धिमान ऋषभ नाम वाला पुत्र हुआ । ऋषभ के सौ पुत्र

हुए, जिनमें सबसे बड़े भरत थे। ऋषभ भरत को अभिषेक

करके ज्ञान वैराग्य मे मग्न होकर नग्न जटाधारी तथा

निराहारी शिव के बड़े भारी भक्त हुए ओर शैव पद को

प्राप्त हुए। हिमाचल से दक्षिण देश को भरत के लिए

दिया गया था इसलिए विद्वान उसे भारतवर्षं नाम से

जानते है । भरत का पुत्र भी बड़ा बुद्धिमान बलवान

सुमति नाम वाला हुआ। भरत उसे राज्य का भार सौंप

कर तपस्या के लिये जंगल में चले गये ।

जम्बूद्वीप पे मेरु का वर्णन

सूतजी बोले- इस द्वीप के मध्य में मेरु नाम का

पर्वत नाना प्रकार का शिखर वाला स्थित है। चौरासी

हजार योजन उसकी ऊँचाई है और १६ हजार योजन

पृथ्वी में धँसा है। ९१६ हजार योजन तक वह पृथ्वी पर

फैला हुआ।

महेश्वर के शुभ अंग से स्पर्श होने पर यह सुवर्णमय

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