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पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्‌

(आदित्यहदयसारामृत )

यन्मण्डलं दीप्िकिरं विशालं रल्रप्रभं ॒तीन्रमनादिरूपम्‌ । दारिद्रयदुःखक्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुसरेण्यम्‌ ॥

यन्पण्डलं देवगणैः सुपूजितं विधैः स्तुतं मानवपुक्तिकोविदम्‌ । ते देवदेवे प्रणमामि सूर्य पुनातु मां तत्सचितुचरिण्यम्‌ ॥

यन्पण्डलं ज्ञानघनं त्वगय्यै प्रैल्लोक्यपूज्य त्रिगुणात्मरूपम्‌ । समस्ततेजोमयदिव्यकृूप॑ पुनातु मां तत्सवितुवरेण्यम्‌ ॥

यन्पण्डलै गूढ़मतिप्रजोध॑धर्पस्य बुद्धि कुरुते जनानाम्‌ । यत्सर्वपापक्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुविण्यम्‌ ॥

यन्पण्डलनै॒व्याधिविनाशदश्चं यदुम्यजुःसामसु सम्प्रगीतम्‌ । प्रकाशितं येन च भूर्भुवः स्वः पुनातु मां तत्सवितुवरेण्यम्‌ ॥

यन्पप्डलं विदन्ति गायन्ति यच्वारणसिद्धसंघाः । यद्योगिनो योगसुवां च संघाः पुनातु मां तत्सवितुवरिण्यम्‌ ॥

यण्पष्डानै पूजितं ज्योतिश्च कुर्यादिह मर्त्यलोके | यत्कालकालादिमनादिरूपं पुनातु मां तत्सवितुवरेण्यम्‌ ॥

जिन भगवान्‌ सूर्यका प्रखर तेजोमय मण्डल विशाल, रल्नोकि समान प्रथासित, अनादिकाल- स्वरूप, समस्त

लोकोका दुःख दारिद्रय संहारक है, वह मुझे पवित्र करे । जिन भगवान्‌ सूर्यका वरेण्य मण्डल देवसमूहोंद्रारा अर्चित,

विद्धान्‌ ब्राह्मणोद्ार संस्तुत तथा मानवको मुक्ति देनेमे प्रवण है, वह मुझे पवित्र करे, मैं उसे प्रणाम करता हूँ। जिन

भगवान्‌ सूर्यका मण्डल अखण्ड-अविच्छेद्य, ज्ञानस्वरूप, तीनों लोकोंद्राए पूज्य, सत्व, रज, तम--इन तीनों गुणोंसे

युक्त, समस्त तेजं तथा प्रकाश -पुञ्जसे युक्त है, वह मुझे पवित्र करे । जिन भगवान्‌ सूर्यका श्रेष्ठ मण्डल गूढ होनेके

कारण अत्यन्त कठिनतासे ज्ञानगम्य है तथा भक्तोकि हदये धार्मिक बुद्धि उत्पन्न करता है, जिससे समस्त पापोंका क्षय

हो जाता है, वह मुझे पवित्र करे । जिन भगवान्‌ सूर्यका मण्डल समस्त आधि-व्याधियोका उन्मूलन करने अत्यन्त

कुशल है, जो ऋक्‌, यजुः तथा साम--इन तीनों वेदोकि द्वारा सदा संस्तुत है ओर जिसके द्वारा भूलोक, अन्तरिक्षलोक

तथा स्वर्गलोक सदा प्रकाशिते रहता है, वह मुझे पवित्र करे । जिन भगवान्‌ सूर्यके श्रेष्ठ मण्डलको वेदवेत्ता विद्वान्‌

ठीक-टीक जानते तथा प्राप्त करते है, चारणगण तथा सिद्धोका समूह जिसका गान करते दै, योग-साधना करनेवाले

योगिजन जिसे प्राप्त करते हैं, वह मुझे पवित्र करे । जिन भगवान्‌ सूर्यका मण्डल सभी प्राणिर्योदरार पूजित है तथा जो

इस मनुष्यलोकमे प्रकाशका विस्तार करता है ओर जो कालका भौ काल एवं अनादिकाल-रूप है, वह मुञ्चे पवित्र

करे । जिन भगवान्‌ सूर्यके मण्डलपें ब्रह्मा एवं विष्णुकी आख्या है, जिनके नामोच्चारणसे भक्तोके पाप नष्ट हो जाते

हैं, जो क्षण, कला, काष्ठा, सेवत्सरसे लेकर कल्पपर्यन्तं कालका कारण तथा सृष्टिके प्रलयका भी कारण है, वह मुझे

पवित्र करे । जिन भगवान्‌ सूर्यका मण्डल प्रजापतियोंकी भी उत्पत्ति, पालन और संहार करनेमें सक्षम एवं प्रसिद्ध है

और जिसमें यह सम्पूर्णं जगत्‌ संहत होकर लीन हो जाता है, वह मुझे पवित्र करे । जिन भगवान्‌ सूर्यका मण्डल सम्पूर्ण

प्राणिवर्गका तथा विष्णुकी भी आत्मा है, जो सबसे ऊपर श्रेष्ठ लोक है, शुद्धातिशुद्ध सारभूततत्व है और सूक्ष्म-से-सूक्ष्म

साधनोंके द्वारा योगियोकि देवयानद्वारा प्राप्य है, वह मुझे पवित्र करे । जिन भगवान्‌ सूर्यका मण्डल वेदवादियोंद्वारा सदा

संस्तुत और योगियोको योग-साधनासे प्राप्त होता है, मैं तीनों काल और तीनों लोकोकि समस्त तत्त्वोके ज्ञाता उन

भगवान्‌ सूर्यको प्रणाम करता हूँ, वह मण्डल मुझे पवित्र करे।

~क

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