गायत्री या अन्य किसी छन्दके समवृत्तोंमेंसे छठा
भेद कैसा होगा, तब इसका उत्तर देनेकी प्रणालीपर
विचार करते हैं--] नष्ट-संख्याको आधी करनेपर
जब वह दो भागोंमें बराबर बट जाय, तब एक
लघु लिखना चाहिये। यदि आधा करनेपर विषम
संख्या हाथ लगे तो उसमें एक जोड़कर सम बना
ले और इस प्रकार पुनः आधा करे। ऐसी
अवस्थामें एक गुरु अक्षरकी प्राप्ति होती है। उसे
भी अन्यत्र लिख ले। जितने अक्षरवाले छन्दके
भेदको जानना हो, उतने अक्षरोंकी पूर्ति होनेतक
छठा समवृत्त। 5। 555 इस प्रकार है।] {अब
| प्रक्रिया बतलाते है । अर्थात् जब कोई
यह पूछे कि अमुक छन्द प्रस्तारगत किस
संख्याका है, तो उसके गुरु-लघु आदिका एक
जगह उल्लेख कर ले। इनमें जो अन्तिम लघु हो,
उसके नीचे १ लिखे। फिर विपरीतक्रमसे, अर्थात्
उसके पहलेके अक्षरोंके नीचे क्रमश: दूनी संख्या
लिखता जाय। जब यह संख्या अन्तिम अक्षरपर
पहुँच जाय तो उस द्विगुणित संख्यामेंसे एक
निकाल दे। फिर सबको जोड्नेसे जो संख्या हो,
पूर्वोक्त प्रणालीसे गुरु-लघुका उल्लेख करता रहे। | वही उत्तर होगा। अथवा यदि वह संख्या गुरु
[जैसे गायत्री छन्दके छठे भेदका स्वरूप जानना | अक्षरके स्थानमे जाती हो तो पूर्वस्थानकी संख्याको
हो तो छःका आधा करना होगा। इससे एक लघु | दूनी करके उसमेंसे एक निकालकर रखे। फिर
(। )-की प्राप्ति हुई। बाकी रहा तीन; इसमें | सबको जोड़नेसे अभीष्ट संख्या निकलेगी।] उद्दिष्टकी
दोका भाग नहीं लग सकता, अतः एक जोड़कर
आधा किया जायगा। इस दशामें एक गुरु (5)-
की प्राप्ति हुई। इस अवस्थामें चारका आधा
करनेपर दो शेष रहा, दोका आधा करनेपर एक
शेष रहा तथा एक लघु (। )-की प्राप्ति हुई। अब
एक समसंख्या न होनेसे उसमें एक और जोड़ना
पड़ा; इस दशामें एक गुरु (5)-की प्राप्ति हुई।
फिर दोका आधा करनेसे एक हुआ और उसमें
एक जोड़ा गया। पुनः एक गुरु (5) अक्षरकी
प्राप्ति हुई। फिर यही क्रिया करनेसे एक गुरु (5)
और उपलब्ध हुआ। गायत्रीका एक पाद छः
अक्षरोका है, अतः छः अक्षर पूरे होनेपर यह
प्रक्रिया बंद कर देनी पड़ी । उत्तर हुआ गायत्रीका
समवृत्त
एकाक्षर छन्दरमें-
११११३
शुद्धं समवृत्त
संख्या बतलानेका सबसे अच्छा उपाय यह है
कि उस छन्दके गुरु-लघु वर्णोको क्रमशः एक
पड्लिमें लिख ले और उनके ऊपर क्रमशः एकसे
लेकर दूने-दूने अङ्क रखता जाय; अर्थात् प्रथमपर
एक, द्वितीयपर दो, तृतीयपर चार--इस क्रमसे
संख्या बैठाये। फिर केवल लघु अक्षरोंके अङ्कोंको
जोड़ ले और उसमें एक और मिला दे तो वही
उत्तर होगा। जैसे 'तनुमध्या' छन्द गायत्रीका किस
संख्याका वृत्त है, यह जाननेके लिये तनुमध्याके
गुरु-लघु वर्णौ-तगण, यगणको 55।। 55 इस
प्रकार लिखना होगा। फिर क्रमशः अङ्क् बिछानेपर
१२४८ १६ ३२ इस प्रकार होगा। इनमें केवल
लघु अक्षरके अङ्क ४ । ८ जोड़नेपर १२ होगा।
शुद्ध विषम वृत
१२
रे४०
४०३२
६५२८०
१०४७५९५२
२६७३१२०