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शतानन्दकी उत्पत्ति हुई। शतानन्दसे सत्यधृक्‌ हुए।

सत्यधृक्से भी दो जुड़वीं सन्ताने पैदा हुईं। उनमें

पुत्रका नाम कृप और कन्याका नाम कृपौ था।

दिवोदाससे मैत्रेय और मैत्रेयसे सोमक हुए । सुञ्जयसे

पञ्चधनुषकी उत्पत्ति हुई । उनके पुत्रका नाम सोमदत्त

था। सोमदत्तसे सहदेव, सहदेवसे सोमक और

सोमकसे जन्तु हुए। जन्तुके पुत्रका नाम पृषत्‌

हुआ। पृषतूसे द्पदका जन्म हुआ तथा द्रुपदका

पुत्र धृष्टयुम्न था ओर धृष्टद्युम्ने धृष्टकेतुकी उत्पत्ति

हई महाराज अजमीढकी धूमिनी नामवाली पत्नीसे

ऋक्ष नामक पुत्र उत्पन्न हुआ॥ १--२५॥

ऋक्षसे संवरण और संवरणसे कुरुका जन्म

हुआ, जिन्होंने प्रयागसे जाकर कुरुक्षेत्र तीर्थकी

पुत्र और हुए--सुरथ तथा महिमान्‌। सुरथसे विदूरथ

और विदूरथसे ऋक्ष हुए। इस वंशमें ये ऋक्ष

नामसे प्रसिद्ध द्वितीय राजा थे। इनके पुत्रका नाम

भीमसेन हुआ। भीमसेनके पुत्र प्रतीप और प्रतीपके

शंतनु हुए। शंतनुके देवापि, बाह्धिक ओर सोमदत्त--

ये तीन पुत्र थे। बह्विकसे सोमदत्त और सोमदत्तसे

भूरि, भूरिश्रवा तथा शलका जन्म हुआ। शंतनुसे

गङ्गाजीके गर्भसे भीष्म उत्पन्न हुए तथा उनकी

काल्या (सत्यवती) नामवाली पत्रीसे विचित्रवीर्यकी

उत्पत्ति हुई । विचित्रवीर्यकौ पत्रीके गर्भसे

श्रीकृष्णद्ैपायनने धृतराष्ट्र, पाण्डु ओर विदुरको

जन्म दिया। पाण्डुकी रानी कुन्तीके गर्भसे युधिष्ठिर,

भीम और अर्जुन-ये तीन पुत्र उत्पन्न हुए तथा

स्थापना की। कुरुसे सुधन्वा, सुधनु. परीक्षित्‌ | उनकी माद्री नामवाली पत्रीसे नकुल ओर सहदेवका

और रिपुञ्जय -ये चार पुत्र हुए । सुधन्वासे सुहोत्र

ओर सुहोत्रसे च्यवन उत्पन्न हुए । च्यवनकी पत्नी

महारानी गिरिकाके वसुश्रष्ठ उपरिचरके अंशसे

सात पुत्र उत्पन्न हुए । उनके नाम इस प्रकार हैं--

बृहद्रथ, कुश, वीर, यद्‌, प्रत्यग्रह, बल और

मत्स्यकाली । राजा बृहद्रथसे कुशाग्रका जन्म हुआ।

कुशाग्रसे वृषभकी उत्पत्ति हुई और वृषभके पुत्रका

नाम सत्यहित हुआ। सत्यहितसे सुधन्वा, सुधन्वासे

ऊर्ज, ऊर्जसे सम्भव और सम्भवसे जरासंध उत्पन्न

हुआ। जरासंधके पुत्रका नाम सहदेव था। सहदेवसे

उदापि और उदापिसे श्रुतकर्माकी उत्पत्ति हई ।

कुरुनन्दन परीक्षित्क पुत्र जनमेजव हुए। वे बड़े

धार्मिक थे। जनमेजयसे त्रसहस्युका जन्म हुआ।

राजा अजमीढके जो जह नामवाले पुत्र थे, उनके

सुरथ, श्रुतसेन, उग्रसेन और भीमसेन-ये चार

पुत्र उत्पन हुए। परीक्षित्कुमार जनमेजयके दो

जन्म हुआ। पाण्डुके ये पाँच पुत्र देवताओंकि

अंशसे प्रकर हुए थे। अर्जुनके पुत्रका नाम अभिमन्यु

था। वे सुभद्राके गर्भसे उत्पन्न हुए थे। अभिमन्युसे

राजा परीश्षित्का जन्म हुआ। द्रौपदी पाँचों

पाण्डवॉकी पत्नी थी। उसके गर्भसे युधिष्ठिरसे

प्रतिविन्ध्य, भीमसेनसे सुतसोम, अर्जुनसे श्रुतकीर्ति,

सहदेवसे श्रुतशर्मा और नकुलसे शतानीककी उत्पत्ति

हई । भीमसेनका एक दूसरा पुत्र भी था, जो

हिडिम्बाके गर्भसे उत्पन्न हुआ था। उसका नाम

था घटोत्कच। ये भूतकालके राजा हैं। भविष्यमें

भी बहुत-से राजा होंगे, जिनकी कोई गणना नहीं

हो सकती। सभी समयानुसार कालके गालमें चले

जाते हैं। विप्रवर! काल भगवान्‌ विष्णुका ही

स्वरूप है, अतः उन्हींका पूजन करना चाहिये।

उन्हींके उद्देश्यसे अग्रिमे हवन करो; क्योकि वे

भगवान्‌ ही सब कुछ देनेवाले है ॥ २६--४१॥

इस प्रकार आदि आग्रेय महापुराणमों 'कुल्वंशका वर्णन” नामक

दो सौ अठहत्तरवाँ अध्याय यूटा हुआ॥ २७८ ॥

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