तुम्हारे अभिषेकका कार्य सम्पन्न करें। आयति,
नियति, रात्रि, निद्रा, लोकरक्षामें तत्पर रहनेवाली
उमा, मेना और शची आदि देवियाँ, धूमा, ऊर्णा,
नै्रती, जया, गौरी, शिवा, ऋद्धि, वेला, नड्वला,
असिक्नी, ज्योत्स्ना, देवाङ्गनाएं तथा वनस्पति-
ये सब तुम्हारा पालन करें॥ २--११॥
*“ महाकल्प, कल्प, मन्वन्तर, युग, संवत्सर,
वर्ष, दोनों अयन, ऋतु, मास, पक्ष, रात-दिन,
संध्या, तिथि, मुहूर्तं तथा कालके विभिन्न अवयव
(छोटे-छोटे भेद) तुम्हारी रक्षा करें। सूर्य आदि
ग्रह और स्वायम्भुव आदि मनु तुम्हारी रक्षा करें।
स्वायम्भुव, स्वारोचिष, उत्तम, तापस, रैवत,
चाक्षुप, वैवस्वत, सावर्णि, ब्रह्मपुत्र, धर्मपुत्र,
रुद्रपुत्र, दक्षपुत्र, रौच्य तथा भौत्य-ये चौदह मनु
तुम्हारे रक्षक हो । विश्वभुक्, विपश्चित्, शिखी,
विभु, मनोजव, ओजस्वी, बलि, अद्भुत शान्तिर्या,
वृष, ऋतधामा, दिवःस्पृक्, कवि, इन्द्र, रैवन्त,
कुमार कार्तिकेय, वत्सविनायक, वीरभद्र, नन्दी,
विश्वकर्मा, पुरोजव, देववैद्य अश्विनीकुमार तथा
ध्रुव आदि आठ वसु-ये सभी प्रधान देवता यहाँ
पदार्पण करके तुम्हारे अभिषेकका कार्य सम्पन्न
करें। अजद्जिराके कुलमें उत्पन्न दस देवता और
चारों वेद सिद्धिके लिये तुम्हारा अभिषेक करें।
आत्मा, आयु, मन, दक्ष, मद, प्राण, हविष्मान्,
गरिष्ठ, ऋत और सत्य--ये तुम्हारी रक्षा करें तथा
क्रतु, दक्ष, वसु, सत्य, काल, काम और धुरि-
ये तुम्हें विजय प्रदान करेँ। पुरूरवा, आर्द्रवा,
विश्वेदेव, रोचन, अङ्गारक (मङ्गल) आदि ग्रह,
सूर्य, निरति तथा यम--ये सब तुम्हारी रक्षा
करें। अजैकपाद, अहिर्बुध्न्य, धूमकेतु, रुद्रके पुत्र,
भरत, मृत्यु, कापालि, किंकणि, भवन, भावन,
स्वजन्य, स्वजन, क्रतुश्रवा, मूर्धा, याजने और
उशना--ये तुम्हारी रक्षा करें। प्रसव, अव्यय,
दक्ष, भृगुवंशी ऋषि, देवता, मनु, अनुमन्ता, प्राण,
नव, बलवान् अपान वायु, वीतिहोत्र, नय, साध्य,
हंस, विभु, प्रभु ओर नारायण - संसारके हितमें
लगे रहनेवाले ये श्रेष्ठ देवता तुम्हारा पालन करें ।
धाता, मित्र, अर्यमा, पृषा, शक्र, वरुण, भग,
त्वष्टा, विवस्वान्, सविता, भास्कर और विष्णु-
ये बारह सूर्य तुम्हारी रक्षा करें। एकज्योति,
द्विज्योति, त्रिज्योति, चतुर्ज्योति, एकशक्र, द्विशक्र,
महाबली त्रिशक्र, इनदर, पतिकृत्, मित, सम्मित,
महाबली अमित, ऋतजित्, सत्यजित्, सुषेण,
सेनजित्, अतिमित्र, अनुमित्र, पुरुमित्र, अपराजित,
ऋत, ऋतवाक्, धाता, विधाता, धारण, भ्रुव,
इनद्रके परम मित्र महातेजस्वी विधारण, इदृक्ष,
अदृक्ष, एतादृक्, अमिताशन, क्रीडित, सदृक्ष,
सरभ, महातपा, धर्ता, धुर्य, धुरि, भीम, अभिमुक्त,
अक्षपात, सह, धृति, वसु, अनाधृष्य, राम, काम,
जय और विराट्-ये उन्चास मरुत् नामक देवता
तुम्हारा अभिषेक करें तथा तुम्हें लक्ष्मी प्रदान
करे । चित्राङ्गद, चित्ररथ, चित्रसेन, कलि, ऊर्णायु,
उग्रसेन, धृतराष्ट्र, नन्दक, हाहा, हूहू, नारद,
विश्वावसु और तुप्बुरु-ये गन्धवं तुम्हारे
अभिषेकका कार्य सम्पन्न करें और तुम्हें विजयी
अनावें। प्रधान-प्रधान मुनि तथा अनवद्या, सुकेशी,
मेनका, सहजन्या, क्रतुस्थला, धृताची, विश्वाची,
पुञ्जिकस्थला, प्रम्लोचा, उर्वशी, रम्भा, पञ्चचूडा,
तिलोत्तमा, चित्रलेखा, लक्ष्मणा, पुण्डरीका
ओर वारुणी -ये दिव्य अप्सराएँ तुम्हारी रक्षा
करं ॥ १२-३८॥
^" परह्वाद, विरोचन, बलि, बाण ओर उसका
पुत्र-ये तथा दूसरे-दूसरे दानव और राक्षस
तुम्हरे अभिषेकका कार्य सिद्ध करें । हेति, प्रहेति,
विद्युत्, स्फुर्जथु, अग्रक, यक्ष, सिद्ध, मणिभद्र
और नन्दन-ये सब तुम्हारी रक्षा करें । पिङ्गाक्ष,
द्युतिमान्, पुष्पवन्त, जयावह, शक्लु, पद्म, मकर
और कच्छप-ये निधियाँ तुम्हें विजय प्रदान