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धनतेरस पूजा विधि: दीपावली समारोह का द्वार


परिचय

धनतेरस भारत में मनाए जाने वाले दीपावली त्योहार की शुरुआत का दिन है। यह एक विशेष महत्व का दिन है, जिसे धन, समृद्धि, और भाग्यशाली होने से जोड़ा गया है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

धनतेरस का नाम 'धन' अर्थात् धन और 'तेरस' जो महीने का तेरहवां दिन सूचित करता है, का मेल है। इसे सोने या चांदी, और कुछ लोगों के लिए यहां तक कि नई संपत्ति या मशीनरी की नई खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन का संबंध "समुद्र मंथन" और देवी लक्ष्मी के प्रकट होने से किया जाता है।

पूजा की तैयारी

धनतेरस पूजा करने के लिए आपको निम्नलिखित वस्तुएं चाहिए:

  • भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र
  • अगरबत्ती
  • एक दिया या तेल की लालटें
  • ताजा फूल
  • प्रसाद के लिए मिठाई और फल
  • चांदी या सोने की सिक्के

चरण-दर-चरण पूजा विधि

  • प्रारंभिक प्रार्थनाएं: भगवान गणेश, विघ्नहर्ता, को एक संक्षिप्त प्रार्थना से शुरू करें।
  • देवी लक्ष्मी का आह्वान: देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को एक साफ कपड़े पर रखें, और उन्हें हल्दी और सिंदूर चढ़ाएं।
  • दिया जलाना: देवी के पास एक तेल की लालटें जलाएं और पूरी रात जलाए रखें, क्योंकि माना जाता है कि यह बुरी आत्माओं को दूर करता है।
  • अगरबत्ती और प्रसाद: अगरबत्ती जलाएं और देवी को मिठाई और फल चढ़ाएं।
  • प्रार्थनाएं: लक्ष्मी मंत्र या स्तोत्र पढ़ें, समृद्धि और भलाई की मांग करें।

महत्वपूर्ण समय

धनतेरस पूजा का सबसे शुभ समय प्रदोष काल है, जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है। पंचांग या पंजिका की सलाह अवश्य लें।

सामान्य प्रथाएं

पूजा के अलावा, इस दिन नई वस्तुएं खरीदना, विशेषकर सोना और चांदी, आम है। घर की सफाई और दीपक जलाना भी सामान्य प्रथाएं हैं।

क्षेत्रीय भिन्नताएं

भले ही धनतेरस पूजा का सार भारत में आधिकारिक रूप से एक समान हो, कुछ क्षेत्रीय भिन्नताएं भी हैं। दक्षिण भारत में, लोग देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान धन्वंतरि, आयुर्वेद के देवता, की भी पूजा करते हैं।